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संरक्षित खेती में व्यवसायियों व उद्यमियों की कुछ सफल गाथाएं
कुछ संस्थाओं, संस्थानों व किसानों की चुनिंदा सफल गाथाएं
ग्रीनहाउस खेती के लिये प्रषिक्षण संस्थानः संरक्षित खेती के लिये मानव संसाधन विकास
डायरेक्ट्री (लगभग 400 कंपनियां व सप्लायर आदि)
डा. नवेद साबिर प्रधान वैज्ञानिकसंरक्षित कृषि प्रौद्योगिकी केंद्र (CPCT)भा.कृ.अ.प.-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थानव पी.एच.डी.आई.ए.आर.आई.नई दिल्ली से प्राप्त की। नई दिल्ली में कार्यरत हैं। उनका जन्म अलीगढ़ जिले की तहसील सिकंद्रा राउ में 1964 में हुआ। उन्होने एम.एस.सी. व एम.फिल. की डिग्री अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से इसके बाद उन्होने फूड सेफ्टी व ग्लोबल गैप पर भी ट्रेनिंग सर्टिफिकेट किये। 1989 मं ए.आर.एस. परीक्षा करके लखनऊ से से ही हार्टिकल्चर फसलों में आई.पी.एम.सूत्रकृमि प्रबंधन अपना कार्य आरंभ किया। वह अपने कैरियर के आरंभ व गैप आदि विषयों पर कार्य करते रहे। डा. साबिर 1997 से 2016 तक राष्ट्रीय समेकित नाशीजीव प्रबंधन केंद्र (NCIPM)नई दिल्ली में कार्यरत रहे जहां उन्होनें हार्टिकल्चर की विभिन्न फसलों व संरक्षित खेती में आई.पी.एम. व गैप जैसे विषयों पर कार्य किया। संरक्षित कृषि से संबंधित कार्य में आई.पी.एम. के महत्व के चलते वह बाद में सी.पी.सी.टी.आई.ए.आर.आई.नई दिल्ली में नियुक्त हुऐ व संरक्षित खेती कार्य से जुड़े रहे। डा. साबिर ने देश व विदेश में 40 से अधिक शोध पेपर व 25 से अधिक तकनीकी बुलेटिन प्रकाशित किये हैं। इसके अतिरिक्त संरक्षित खेती के स्कूल स्तर पर वोकशनल कोर्स की NCERT की दो पुस्तकें व आई.पी.एम. एवं सूत्रकृमि प्रबंधन पर कई और पुस्तकें व बुलेटिन लिख चुके हैं। डा. साबिर विभिन्न वैज्ञानिक समितियोंके सदस्य व आयोजक रह चुके हैं। वह इंडियन सोसायटी फार प्रोटैक्टेड कल्टीवेशन ISPC की स्थापना में मुख्य भूमिका निभा चुके हैं एव राष्ट्रीय स्तर के अनेक कार्यक्रमों के संयोजक व सह-संयोजक भी रह चुके हैं। डा. साबिर GLOBALGAP विषय पर फिलिपाइंस डवलपमेंट ऐजेंसी में आयोजित वर्कशाप में कंट्री रिप्रेज़ैन्टेटिव भी रह चुके हैं। डा. साबिर ने देश भर के संस्थानों व कृषि से संबंधित आयोजनों के माध्यम से सैंकड़ों कार्यक्रमों में ज्ञान-विज्ञान की जानकारी देने के लिये काफी लोकप्रिय हैं। डा. साबिर को देश के स्तर पर कई सम्मान प्रतीक व एवार्ड भी दिये जा चुके हैं। संरक्षित खेती में पौध संरक्षण विशेषज्ञ के रूप में वह देश के अग्रणी वैज्ञानिकों में से एक हैं। अधिकारिक व निजी स्तर पर लगभग 6 देशों की यात्रा पर भी रह चुके हैं। डा. साबिर संरक्षित खेती व आई.पी.एम. विशेषज्ञ के रूप में देश की विभिन्न समितियों में DST-TIFAC GoI, NIPHM, BIS, GOI राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB)गुरूग्राम आदि अनेक में सदस्य के रूप में योगदान दे चुके हैं। संरक्षित कृषि विषय पर यह उल्लेखनीय पुस्तक उनके इस विषय से अगाथ प्रेमनिष्ठा व कठिन परिश्रम का सूचक है। उनको ई-मेल nsabir29@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।